Thursday, April 16, 2009

सर्वोच्च न्यायालय का आदेश भी कूड़ेदान में ....................

अभी पिछले दिनों ही राजस्थान हाई कोर्ट ने जयपुर बम धमाकों के बाद अवैध रूप से जयपुर में रह रहे बांग्लादेशियों को राज्य सरकार की ओर से वापस भेजने के कार्रवाई को वैध करार दिया था। अब बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें देश की सबसे बड़ी चुनौती बताया। अदालत ने कहा कि हर भारतीय के पास पहचान पत्र होना चाहिए खासकर सीमावर्ती इलाकों में यह तुंरत प्रभाव से आवश्यक कर दिया जाए। अवैध विदेशी नागरिकों को देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केजी बालाकृष्णन, पी सथाशिवम तथा जेएम पांचाल की तीन जजों की पीठ ने ये सख्त टिप्पणियां अवैध बांग्लादेशियों को देश से बाहर निकालने के मुद्दे पर दायर आल इंडिया लायर्स यूनियन की जनहित याचिका पर विचार करते हुए की।पीठ ने पहचान पत्र पर काफी जोर दिया और कहा कि पहचान पत्र न रखने वाले को देश से बाहर खदेड़ दिया जाए। ऐसे व्यक्ति को नौकरी पर भी न रखा जाए। अवैध नागरिकों को नौकरी पर रखने वाले नियोक्ता को दंड देना चाहिए। नौकरी, शिक्षा और राशन का अधिकार देश के नागरिकों को है, घुसपैठियों को नहीं। एक अनुमान के अनुसार देश का कोई कोना ऐसा नहीं बचा हैं जहां इन घुसपैठियों को दखा न जा सके। पकड़े जाने पर सभी घुसपैठिये स्वयं को पश्चिम बंगाल का निवासी बताते हैं। सुनवाई के दौरान इस समस्या को पश्चिम बंगाल के वकील केके वेणुगोपाल ने रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बंगाली और बांग्लादेशियों में सांस्कृतिक और परंगरागत समानताएं हैं जिसके कारण उनकी पहचान काफी मुश्किल हो जाती है।इसके अलावा अवैध नागरिकों को बांग्लादेश सरकार स्वीकार नहीं करती। सरकार कहती है कि निकाले जाने वाले नागरिकों को वह न्यायिक आदेश पर ही स्वीकार करगी। उन्होंने कहा कि अवैघ नागरिकों को निकालने के लिए सरकार के पास कोई तय प्रणाली नहीं है। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह बांग्लादेश की सरकार से इस बार में बात करे। कोर्ट ने कहा कि यह कतई स्वीकार्य नहीं है कि स्वेदश वापस भेजने के लिए ट्रांजिट कैंप में रखे गए अवैध बांग्लादेशियों को वह सब चीजें मुहैया करवाई जाती हैं जो देश के सामान्य नागरिक को नही मिलतीं।कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए और कहा कि बांग्लादेश से लगी सीमा पर पूरी तरह तारबंदी की जाए, जरूरत पड़ने पर इसके लिए भूमि अधिग्रहण हो, राष्ट्रीय पहचान पत्र बनाए जाएं। हालांकि कोर्ट ने माना कि यह कठिन कार्य है लेकिन कहा कि राष्ट्रहित में पहचान पत्र बनाना आवश्यक है। सरकार सीमा पर बीएसएफ की पर्याप्त बटालियनें मुहैया कराए ताकि घुसपैठ रोकी जा सके । सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सालिसिटर जनरल अमरंद्र शरण ने कहा कि सरकार भी यही चाहती है कि कोई भी अवैध नागरिक देश में न रहे। याचिकाकर्ता के वकील ओपी सक्सेना ने कहा कि पिछली सरकार के समय भी राष्ट्रीय पहचान पत्र की बात उठी थी और इसके लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी तैयार किया गया था लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब वर्त्तमान सरकार भी यही कह रही है।

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