शिव राज पाटिल के इस्तीफे का एलान नैतिकता से कोसोंदूर राजनीतिक हथकंडा भर है । मुंबई कांड को लेकर चौतरफा हमले झेल रही कांग्रेस ने सही मौके पर ये दाव खेला है । आगामी चुनावों को ध्यान मे रख कर एक रणनीति के तहत ये सारा नाटक रचा गया है । ये कैसी नैतिक जिम्मेदारी की बात कर रहे है पाटिल साहेब , जब दिल्ली मे बम फुट रहे थे तभी तो आप शूट बदलने मे मशगूल थे ! अपने कर्तव्यों को न निभाने की नाकामी को ढंकना आसान नही है। यह तो शुतुमुर्ग वाली बात हो गई । रेत मे सर ढकने से छुपने की कवायद महंगी पड़ सकती है । कही जनता इसे आपकी नामर्दी न समझ बैठे । विपक्ष के हमलो से बचने और जनता को बहलाने - फुसलाने का तीर खली जा सकता है। इन सब बातों मे दो प्रश्न उभर कर सामने आते है - पहला, भारत का ९/११ कहे जा रहे इस हमले के बाद गृह मंत्री का इस्तीफा नैतिकता है या नपुंसकता ? दूसरा , आतंकवाद के मुद्दे पर जनता का विश्वाश हासिल किया जा सकता है >?......................... आगे आप ख़ुद सोचिये .....................आख़िर कब तक हम आतंकवाद से सम्झूता करते रहेंगे ? कब तक आतंकियों को जिन्दा पकड़ा जाएगा ? कब तक ये दामादों की तरह जेलों मे ऐश करते रहेंगे ? कब तक अफजल की फंसी टलती रहेगी ?कब तक ये मोहनचंद्र शर्मा , हमेंट करकरे, मजोर अजित जैसे वीर मरे जायेंगे ? कब तक ये दोगले नेता शहद्तो पर ऊँगली उठाते रहेंगे ? आख़िर कब तक चंद गद्दारों के कारन हम भारतीय मारे जायेंगे ? ......????////?///?//????????? इन सवालों के जवाब आप ख़ुद से पूछिये । अपने अधिकारों की लडाई ख़ुद से लड़िये । आज वक्त है सभी राष्ट्रवादी शक्तियों को एकजुट हो कर संघर्ष करें । बंगलादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध हमने आन्दोलन चला रखा है । आगामी १७ दिसम्बर को' चिकेन नेक्क ' मे हम विशाल रैली कर रहे है और वहीँ से पुरे देश मे आतंकवाद विरोधी मुहीम का पहला चरण , जो की बंगलादेशी घुसपैठियों को भगाना है , शुरू हो जाएगा । आप तमाम राष्ट्रभक्तों से आगे आने की उम्मीद है। हर कोई अपने -अपने स्तर से सहयोग करे तो यह काम चुटकी बजाते ही हो जाएगा ।
1 comment:
भाई,मुंबई के पूरे आपरेशन टारनैडो के आद एक आतंकी जीवित कैसे पकड़ा जाता है क्या उसे मरने में डर था या फिर बस बयान देने के लिये उसने खुद को पकड़वाया है???
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